कुरआन की सूरा अश-शुअरा (आयत 88–91) में साफ़ कहा गया है:
« يَوْمَ لَا يَنْفَعُ مَالٌ وَلَا بَنُونَ . إلَّا مَنْ أَتَى اللَّـهَ بِقَلْبٍ سَلِيمٍ . وَأُزْلِفَتِ الْجَنَّةُ لِلْمُتَّقِينَ . وَبُرِّزَتِ الْجَحِيمُ لِلْغَاوِينَ»
"उस दिन न धन काम आएगा और न ही बेटे-बेटियां। केवल वही शख्स ख़ुदा के सामने फायदा पाएगा जो एक पाक और सच्चे दिल (क़ल्बे सलीम) के साथ हाज़िर होगा। उस दिन जन्नत परहेज़गारों के करीब लाई जाएगी और जहन्नम गुमराहों के सामने लाकर रखी जाएगी।"
इससे समझ में आता है कि अल्लाह के दरबार में सफल होने और जन्नत पाने की असली शर्त, "क़ल्बे सलीम" यानी गुनाह, शिर्क, नेफ़ाक़, शक, रिया और हसद से पाक दिल है। जिनके दिल इन बुराइयों से भरे होंगे, उनका अंजाम जहन्नम होगा।
इसीलिए सूरए युनुस, आयत 25 में अल्लाह फ़रमाता है:
« وَاللَّـهُ يَدْعُو إِلَىٰ دَارِ السَّلَامِ وَيَهْدِي مَنْ يَشَاءُ إِلَىٰ صِرَاطٍ مُسْتَقِيمٍ»
"अल्लाह सबको दारुस्सलाम (सुरक्षित और सलामती का घर) की तरफ बुलाता है और जिसे चाहता है, सीधी राह पर चला देता है।"
मतलब यह कि अल्लाह अपनी रहमत से सब इंसानों को जन्नत और सलामती की ओर बुला रहा है। जो भी इस बुलावे को सच्चे दिल से स्वीकार करेगा, उसे अल्लाह पाक दिल (क़ल्बे सलीम) अता करेगा और वह जन्नत का हक़दार बनेगा।
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